जिंदगी एक उलझी हुई पहेली है,
जिसे सुलझाने में पूरी जिंदगी बीत जाती है,
जब लगता है, अब कुछ सुलझी सी हुई जिंदगी,
फिर वह बुरी तरह से उलझ जाती है।
इस उधेड़बुन में उम्र बीतने लगती है
बचपन से जवानी फिर बुढ़ापा
आखिरी सांस निकलते वक्त भी कुछ उलझने रह जाती हैं
जिंदगी फिर छोड़ के कहीं और चली जाती है।
जिसे सुलझाने में पूरी जिंदगी बीत जाती है,
जब लगता है, अब कुछ सुलझी सी हुई जिंदगी,
फिर वह बुरी तरह से उलझ जाती है।
इस उधेड़बुन में उम्र बीतने लगती है
बचपन से जवानी फिर बुढ़ापा
आखिरी सांस निकलते वक्त भी कुछ उलझने रह जाती हैं
जिंदगी फिर छोड़ के कहीं और चली जाती है।